अग्निसार क्रिया प्राणायाम विधि, लाभ और सावधानियां

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अग्निसार क्या है – Agnisar Kriya in Hindi

अग्निसार को वह्निसार भी कहते हैं। वहिन का मतलब होता है अग्नि और सार का अर्थ होता है मूल तत्व। अग्निसार एक ऐसी क्लींजिंग योग है जो आपके पाचन तंत्र को साफ एवं स्वस्थ रखते हुए पूरे शरीर को बीमारियों से बचाता है। मूलतः अग्निसार नाभि से सम्बंधित एक योगाभ्यास है जिसका ज़्यादा से ज़्यादा असर नाभि के क्षेत्र पर होता है। यह आप के पेट को ठीक रखते हुए पाचन में मदद करता है और साथ ही साथ पाचन रस के स्राव में बड़ी भूमिका निभाता है।agnisar-steps-benefits

अग्निसार क्रिया की विधि – Agnisar Kriya steps in Hindi

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नौकासन योग विधि, लाभ और सावधानियां

Boat pose steps, benefits and precautions

नौकासन क्या है  – Navasana in Hindi

नौकासन पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण योगासन है। इस आसन को नौकासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका आकार नाव की तरह का होता है। इसको नावासन के नाम से भी पुकारा जाता है। इसके फायदे अदभूत हैं। यह पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही प्रवभाशाली योगाभ्यास है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और साथ ही साथ सिर से लेकर पैर की अंगुली तक फायदा पहुँचाता है। इसके जितने भी लाभ गिनाये जाए कम है। इसलिए चाहिए कि हर योग साधक नियमित रूप से इस योगासन का प्रैक्टिस करे।Boat pose steps, benefits and precautions

नौकासन की विधि – Navasana steps in Hindi

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नाड़ीशोधन प्राणायाम विधि, लाभ और सावधानियां

Nadishodhan Pranayama steps

नाड़ीसोधन प्राणायाम क्या है – Nadi Shodhana Pranayama Hindi

नाड़ीसोधन प्राणायाम को अनुलोम-विलोम के रुप में भी जाना जाता है। नाड़ीसोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम को अमृत कहा गया है और स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम प्राणायामों से एक है। कहा जाता है की शायद ही कोई ऐसी बीमारी हो जिसको अनुलोम विलोम से फायदा न पहुँचता हो।Nadishodhan Pranayama steps

शास्त्रों में नाड़ीशोधन प्राणायाम – Nadi Shodhana Pranayama in texts

हठयौगिक शास्त्रों में कहा गया है कि साधक को हमेशा बारी-बारी से एक-दूसरे नासिका छिद्र से श्वास लेना और छोड़ना चाहिए। जब श्वास लेना पूरा हो जाए तो दाहिनी नासिका को अंगूठे और बाईं नासिका को अनामिका और छोटी उंगली से दोनों नासिकाओं को बंद कर दें। अब  अपने हिसाब से कुंभक करें।  और उसके बाद श्वास बाहर छोड़ा जाता है (घेरंडसंहिता  5/53)।

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शंख प्रक्षालन विधि, लाभ और सावधानियां

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शंख प्रक्षालन का अर्थ – Shankhaprakshalana in Hindi

आपके मन में शवाल उठ रहा होगा कि शंख प्रक्षालन किया है? आज आपको हम शंख प्रक्षालन के विधि, लाभ एवं सावधानियां के बारे में बताने जा रहे हैं। शंख प्रक्षालन एक क्लींजिंग योगाभ्यास है जो आपके को टॉक्सिन्स, विषैले पदार्थ एवं अन्य बेकार तत्व से आपके शरीर को बचाता है। इस तरह से इस योग के अभ्यास करने से आप सेहतमंद ही नहीं रहते बल्के बहुत सारी बिमारियों से महफूज़ रहते हैं। शंख प्रक्षालन को वारिसार क्रिया भी कहते हैं। शंख प्रक्षालन दो शब्दों का बना हुआ है-शंख जिसका प्रयोग आंतों के लिए किया गया है क्योंकि आंतें भी शंख के भीतरी भाग के समान जटिल होती हैं ‘प्रक्षालन’ का अर्थ होता है साफ करना या धोना। इस तरह से देखा जाये तो शंखप्रक्षालन की ऐसी शोधन योग क्रिया है जो आंतों को साफ करता है। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि शंख प्रक्षालन हमेशा किसी विशेषज्ञ के निगरानी में ही करनी चाहिए।shankh-prakshalan-steps-benefits-precaution

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कपालभाति प्राणायाम से तुरंत वजन घटाएं

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कपालभाति क्या है – Kapalbhati meaning in Hindi

कपालभाति प्राणायाम एक प्रबल सांस की प्रक्रिया है जो आप को स्वस्थ ही नहीं रखता बल्कि आपके के वजन और मोटापा घटाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। कपालभाति से पेट की चर्बी को आसानी से कम किया जा सकता है। सिर्फ पेट की चर्बी ही नहीं, पुरे शरीर के फैट को गलाने के लिए यह सांस की प्रक्रिया बहुत कारगर है। अगर इसको विधिपूर्ण और किसी विषेशज्ञ के सामने किया जाये तो वजन एवं मोटापा को तुरंत घटाया जा सकता है। और साथ ही साथ जीवन शैली से सम्बंधित बीमारियां जैसे डायबिटीज, आर्थराइटिस, हाइपरटेंशन, ओबेसिटी, ब्लड प्रेशर, इत्यादि से आप को नजात दिला सकता है। अब आपको हम यहां बताएंगे कि कैसे कपालभाति प्राणायाम कैसे करें ताकि वजन को कंट्रोल करते हुए बिमारियों पर काबू पाया जा सके।Kapalbhati for weight loss

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