पर्वतासन क्या है -What is Parvatasana in Hindi?
पर्वतासन एक सिंपल योगाभ्यास है जो बैठ के किया जाता है। यह मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और सक्रिय हृदय चक्र के लिए फायदेमंद है। पर्वतासन नाम संस्कृत के शब्दों से आया है जहां पर्वत का अर्थ है “पर्वत,” और आसन, जिसका अर्थ है “योग मुद्रा”। पर्वतासन उन लोगों के लिए जरूरी हो जाता है जो खड़े हो के इस योग को करने में असमर्थ हैं। खड़े होने की मुद्रा को ताड़ासन भी कहा जाता है।
पर्वतासन विधि-Parvatasana Steps in Hindi
- सबसे पहले फर्श पर आप दंडासन की स्थिति में पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं और हाथों को शरीर के बगल में स्वतंत्र रूप से रखें।
- अब पद्मासन में बैठें, मतलब है कि आपका दाहिना पैर बायीं जांघ पर और बायां पैर दाहिनी जांघ पर है।
- इसके बाद लगभग 3 सेकंड धीमी और गहरी सांस लेते हुए हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में मिला लें और हाथों को सिर के ऊपर ऊपर की ओर फैलाएं।
- अब अपने कूल्हों को फर्श पर रखते हुए शरीर और हाथों को अच्छी तरह से ऊपर की ओर खींचें।
- लंबा सांस लें और सांस छोड़े।
- 30-40 सेकंड के लिए इस मुद्रा को बनाए रखें।
- सामान्य रूप से सांस लेते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक मुद्रा में लौट आएं।
पर्वतासन लाभ-Parvatasana benefits in Hindi
- पर्वतासन शरीर को स्वास्थ्य लाभ देते हुए संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
- यह अभ्यास रीढ़ की हड्डी के लिए अच्छा है और पीठ की मांसपेशियों को सीधा रखता है और आंतरिक अंगों के कार्य कुशलता को बढ़ाता है।
- जब आप इसका नियमित अभ्यास करते हैं तो आपका शरीर मजबूत बनता है और शरीर का ढीलापन भी दूर होता है।
- पर्वतासन कंधों और पीठ में तनाव को भी दूर करता है।
- शीघ्रपतन के रोग को रोकने में अहम भूमिका निभाता है।
- कंधों की मजबूती के लिए पर्वतासन बहुत कारगर है।
- यह मुद्रा हृदय चक्र को भी सक्रिय करती है जो व्यक्ति को शांति की अनुभूति करने में मदद करती है।
- फेफड़ों या सांस की बीमारियों से निजात पाने के यह एक बहुत अच्छा अभ्यास है।
पर्वतासन सावधानियां-Parvatasana precautions in Hindi
कार्पल टनल सिंड्रोम में इस मुद्रा का अभ्यास न करें।
इस आसन को करते हैं अपने हाथों को मत झुकाएं
अभ्यास के दौरान अगर कोई परेशानी हो तो योग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।