कपालभाति योग को एक पूर्ण योग के रूप में देखा जाता है। स्वस्थ्य लाभ के लिए इसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। कपालभाति के फायदे को देखते हुए इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है।
कपालभाति के 10 आश्चर्यजनक फायदे ।10 Surprising benefits of Kapalbhati Pranayama in Hindi
कपालभाति प्राय हर बिमारियों से किसी न किसी तरह से आपको बचाने में अहम रोल प्रदान करता है। अगर आप नियमित रूप से इस योग का अभ्यास करते हैं तो इसके लाभ अनगिनत महसूस कर सकते हैं।
- वजन: अगर आपको अपना वजन कम करना है तो कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास जरूर करें। मोटापे को कम करने में भी बहुत कारगर है।
- पेट की चर्बी घटाने में: पेट की चर्बी को कम करने के लिए यह निहायत ही उम्दा योगाभ्यास है। यह पेट की चर्बी को ही कम नहीं करता बल्कि शरीर से टॉक्सिन को निकालने में भी मदद करता है।
- त्वचा निखार: इसके नियमित अभ्यास से आपको कॉस्मेटिक की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे त्वचा में अपने आप निखार आने लगेगा। इसके अभ्यास से आखों के नीचे कालापण कम होता है।
- बालों: यह बालों के झड़ना रोकने और बालों को सफेद होने से बचाता है।
- अस्थमा: अस्थमा एवं दमा के मरीजों के लिए यह क्रिया बहुत लाभकारी है।
- स्मरण शक्ति: यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है और मस्तिष्क को तरो तजा रखता है। इसके नियमित अभ्यास से स्मरण शक्ति और दिमाग तेज होता है। अतः यह उनके लिए बहुत ही अच्छा योगाभ्यास है जिनको भूलने की बीमारी हो।
- साइनसाइटिस: इसके अभ्यास से साइनसाइटिस का इलाज किया जा सकता है। साथ ही साथ यह बलगम, शीत, राइनिटिस, श्वास नली के संक्रमण आदि के लिए भी लाभदायक है।
- पाचन: उदर में तंत्रिकाओं को सक्रिय बनाता है, उदरांगों की मालिश करती है तथा पाचन क्रिया को सुधारता है। ब्लड सर्कुलेशन तेज होने से पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। इस तरह यह पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाते हुए कब्ज की परेशानियों से दूर रखता है।
- फेफड़े की क्षमता: यह फेफड़े की क्षमता को बढ़ाते हुए सांस से संबंधित रोगों से दूर रखता है।
- किडनी: इसके नियमित अभ्यास से आप अपने किडनी एवं लिवर को स्वस्थ रख सकते हैं। इसके साथ ही साथ यह दांतों, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्या भी दूर करता है।
कपालभाति करने का तरीका ।How to do kapalbhati in Hindi
- सबसे पहले आप किसी ध्यान की मुद्रा में बैठें।
- दोनों नोस्ट्रिल से सांस लें, जिससे पेट फूल जाए और पेट की पेशियों को बल के साथ सिकोड़ते हुए सांस छोड़ दें।
- अगली बार सांस स्वतः ही खींच ली जाएगी और पेट की पेशियां भी स्वतः ही फैल जाएंगी।
- सांस धौंकनी के समान चलनी चाहिए।
- सांस छोड़ने की प्रक्रिया बलपूर्वक होनी चाहिए।
- पहले पहले इसको आप थोड़ा करे फिर धीरे धीरे इसके राउंड्स को बढ़ाते जाएं।
- अगर आपके पास समय है तो रुक रुक कर इसे आप 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
कपालभाति सावधानियां ।Kapalbhati precautions in Hindi
यह क्रिया निम्न कंडीशंस में नहीं करनी चाहिए
- हाई ब्लड प्रेशर
- ह्रदय रोग
- मिर्गी
- हर्निया
- अल्सर
- सांस संबंधी समस्या
कपालभाति के हानि ।Disadvantages from Kapalbhati in Hindi
वैसे इस क्रिया को करने से हानि कम है और फायदे ज़्यदा है। फिर भी निम्न हालत में किसी अच्छे योग थेरेपिस्ट की सलाह लेकर ही करनी चाहिए।
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्यां
- स्पाइनल समस्यां
- ह्रदय रोग
- मिर्गी
- हर्निया
- अल्सर
- सांस संबंधी समस्या
- कमजोरी
- गर्भवती
कपालभाति कब करें ।When to do Kapalbhati in Hindi
अब बात आती है की इस क्रिया को कब करनी चाहिए। इसके अभ्यास करने का सबसे अच्छा समय सुबह का है जहाँ पर आप का पेट खाली रहता है। अगर आप इसको सुबह न कर पाएं तो इसका अभ्यास तब करें जब आपका पेट पूरी तरह से खाली हो।
कपाल भाती क्या सायं को कर सकते है?
कर सकते हैं लेकिन पेट खाली होना चाहिए।