प्राणायाम विधि एवं तरीके। Pranayama steps, technique in Hindi
तरीके प्राणायाम करने के पहले
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- प्राणायाम करने से पहले शरीर का स्वच्छ होना जरुरी है।
- प्राणायाम स्वच्छ एवं खुले स्थान पर किया जाना चाहिए।
- प्राणायाम ऐसे स्थान पर करना चाहिए जहां धूल, धुएं और बदबू न हो।
- प्राणायाम समतल स्थान पर किया जाना चाहिए जहाँ पर सहजता के साथ इसका अभ्यास किया जा सके।
- प्राणायाम सूर्य उदय से पहले या फिर सूर्यास्त के बाद किया जाना चाहिए।
- प्राणायाम के लिए सबसे अच्छा मौसम बसंत और पतझड़ है।
- प्राणायाम का अभ्यास खाली पेट करना चाहिए।
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- प्राणायाम करने से पहले अमाश्य और मूत्राश्य खाली होना चाहिए।
- प्राणायाम के लिए मिताहार अच्छा माना गया है।
- प्राणायाम अभ्यासी को तैलीय और मसालेदार भोजन से दुर रहना चाहिए।
- स्नान के बाद प्राणायाम करना बेहतर है।
- प्राणायाम के लिए हल्के और ढीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
विधि और तरीके प्राणायाम के दौरान
- प्राणायाम के दौरान सदैव नाक से सांस लें और नाक से सांस छोड़े।
- प्राणायाम के दौरान श्वांस धीरे-धीरे और सहजता से छोड़ना चाहिए।
- पूरक श्वांस अंदर लें ) और कुम्भक (श्वांस को अंदर रोकें )रेचक (सांस बाहर निकालें)। इसका अनुपात 1:4 :2 होता है।
- पूरक क्रिया के दौरान ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है जबकि कुम्भक क्रिया के दौरान ऑक्सीजन औऱ कॉर्बन डाई ऑक्साइड का आदान-प्रदान होता है।
- प्राणायाम 8 से 80 वर्ष के सभी कर सकते हैं।
- प्राणायाम सदैव आसन की मुद्रा में किया जाना चाहिए जिसमें अपेक्षित बंध और मुद्राओं का प्रयोग किया जाए।
- प्राणायाम के दौरान सदैव नेत्र बंद रखें ताकि आप अपने शरीर को फोकस कर सकें।
- शवासन का अभ्यास प्राणायाम के बाद करना चाहिए। इससे शरीर में शिथिलता दूर होगी।
विधि और तरीके प्राणायाम के बाद
- प्राणायाम करने के बाद स्नान कर सकते हैं।
- प्राणायाम करने के तुरंक बाद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
प्राणायाम के लाभ।Pranayama benefits in Hindi
यहां पर प्राणायाम के कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में जिक्र किया जा रहा है।
- अगर कोई गले के विकार जैसे कफ की अधिकता, हकलाहट, टॉन्सिल आदि से ग्रसित हो तो उसे जालंधर बंध करना चाहिए। जालंधर बंध बुढ़ापे को दूर करने में भी सहायक है।
- उड्डीयान बंध रक्त प्रवाह को ठीक करता है, उदर मांसपेशियों को मजबूती देता है, और कब्ज, अपाच्य समेत पेट के विकारों को दूर भगाता है।
- मूलबंध तंत्रिका को उत्तेजना करता है, और मूत्र एवम् उत्सर्जन तंत्र को मजबूती देता है।
- सूर्यबेधन पित्त को बढ़ाता है और बलगम और वायु को नष्ट करता है। ये पाचन को भी बढ़ाता है और साथ ही साथ शरीर से पसीना निकाल कर बहुत सारी बीमारियों से बचाता है।
- उज्जायी गले में श्लेषमा के विकार को ठीक करता है। शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है।
- शीतकारी शरीर पर शांतिदायक प्रभाव डालता है।
- शीताली अपाच्य को दुरुस्त करता है। बुखार, अम्लता और विषाक्तता के विकार को मिटाता है।
- भाष्त्रिका यकृत, प्लीहा, अग्नाशय और उदर मांसपेशियों को क्रियाशील बनाता है। मोटापा कम करने में सहायक है। ये कफ को मिटाता है, नाक और सीने की बीमारियों को ठीक करता है और अस्थमा को ठीक करता है।
- भ्रामरी मन को प्रसन्न करता है और निद्रा को प्रेरित करता है।
- अनुलोम विलोम: प्राणायाम की दुनिया में इसको अमृत कहा गया है। इसका नियमित अभ्यास करने से आप बहुत सारी बिमारियों से बच सकते हैं।
Sir pahle parnayam karna chahiye ki yog asan…..
Hi,
First one should start with Kriya followed by Yogasana and Pranayama.
Is it possible do a pranyam on terrace in winter season? Plz.help.me
Hi,
Pranayama should be performed in a cool and calm place without any disturbances and pollution. Considering the severity of cold and pollution level, it is suggested to avoid the practice outside.
Good way of expression.
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति
It is nice to see the explanation