नटराजासन योग विधि, लाभ और सावधानियां

नटराजासन क्या है – Natarajasana in Hindi

नटराजासन का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है जो नृत्य के देव भी माने जाते हैं।  वैसे तो नटराजासन  के कई प्रकार है लेकिन यहां पर जिस नटराजासन की व्यख्या की जा रही है यह नटराजासन का एक विकसित अवस्था है। इस आसन को सबके लिए अभ्यास करना आसान नहीं है। लेकिन प्रैक्टिस के साथ इस पर आप  जीत पा सकते हैं। नटराजासन को एडवांस्ड योगाभ्यास के वर्ग में रखा गया है।

 

नटराजासन की विधि – Natarajasana steps in Hindi

शुरुवाती दौड़ में इस आसन को करना आसान नहीं होगा।  इसके लिए आपको प्रैक्टिस की जरूरत है। लेकिन कुछ दिन के अभ्यास के बाद इसे आप अच्छी तरह कर सकते हैं।  यहां पर नटराजासन को करने की बहुत ही सरल विधि बताई गई है।natrajasana-steps-benefits-precaution

Read more

भस्त्रिका प्राणायाम विधि, लाभ और सावधानियां

Bhastrika Pranayama steps, benefits, precaution

भस्त्रिका प्राणायाम क्या है – Bhastrika Pranayama in Hindi

भस्त्रिका प्राणायाम भस्त्र शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है ‘धौंकनी’। वास्तविक तौर पर यह प्राणायाम एक भस्त्र या धौंकनी की तरह कार्य करता है। धौंकनी के जोड़े की तरह ही यह ताप को हवा देता है, भौतिक औऱ सूक्ष्म शरीर को गर्म करता है। जहाँ तक बात रही भस्त्रिका प्राणायाम की परिभाषा की तो यह एक ऐसी प्राणायाम है जिसमें लगातार तेजी से बलपूर्वक श्वास लिया और छोड़ा जाता है। जैसे लोहार धौंकनी को लगातार तेजी से चलाता है, उसी तरह लगातार तेजी से बलपूर्वक श्वास ली और छोड़ी जाती है। योग ग्रन्थ हठप्रदीपिका में इस प्राणायाम को विस्तार से समझाया गया है (2/59-65)। दूसरी योग ग्रन्थ घेरंडसंहिता में इसको इस प्रकार व्याख्या किया गया है।Bhastrika Pranayama steps, benefits, precaution

Read more

अग्निसार क्रिया प्राणायाम विधि, लाभ और सावधानियां

agnisar-steps-benefits

अग्निसार क्या है – Agnisar Kriya in Hindi

अग्निसार को वह्निसार भी कहते हैं। वहिन का मतलब होता है अग्नि और सार का अर्थ होता है मूल तत्व। अग्निसार एक ऐसी क्लींजिंग योग है जो आपके पाचन तंत्र को साफ एवं स्वस्थ रखते हुए पूरे शरीर को बीमारियों से बचाता है। मूलतः अग्निसार नाभि से सम्बंधित एक योगाभ्यास है जिसका ज़्यादा से ज़्यादा असर नाभि के क्षेत्र पर होता है। यह आप के पेट को ठीक रखते हुए पाचन में मदद करता है और साथ ही साथ पाचन रस के स्राव में बड़ी भूमिका निभाता है।agnisar-steps-benefits

अग्निसार क्रिया की विधि – Agnisar Kriya steps in Hindi

Read more

नाड़ीशोधन प्राणायाम विधि, लाभ और सावधानियां

Nadishodhan Pranayama steps

नाड़ीसोधन प्राणायाम क्या है – Nadi Shodhana Pranayama Hindi

नाड़ीसोधन प्राणायाम को अनुलोम-विलोम के रुप में भी जाना जाता है। नाड़ीसोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम को अमृत कहा गया है और स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम प्राणायामों से एक है। कहा जाता है की शायद ही कोई ऐसी बीमारी हो जिसको अनुलोम विलोम से फायदा न पहुँचता हो।Nadishodhan Pranayama steps

शास्त्रों में नाड़ीशोधन प्राणायाम – Nadi Shodhana Pranayama in texts

हठयौगिक शास्त्रों में कहा गया है कि साधक को हमेशा बारी-बारी से एक-दूसरे नासिका छिद्र से श्वास लेना और छोड़ना चाहिए। जब श्वास लेना पूरा हो जाए तो दाहिनी नासिका को अंगूठे और बाईं नासिका को अनामिका और छोटी उंगली से दोनों नासिकाओं को बंद कर दें। अब  अपने हिसाब से कुंभक करें।  और उसके बाद श्वास बाहर छोड़ा जाता है (घेरंडसंहिता  5/53)।

Read more

शंख प्रक्षालन विधि, लाभ और सावधानियां

shankh-prakshalan-steps-benefits-precaution

शंख प्रक्षालन का अर्थ – Shankhaprakshalana in Hindi

आपके मन में शवाल उठ रहा होगा कि शंख प्रक्षालन किया है? आज आपको हम शंख प्रक्षालन के विधि, लाभ एवं सावधानियां के बारे में बताने जा रहे हैं। शंख प्रक्षालन एक क्लींजिंग योगाभ्यास है जो आपके को टॉक्सिन्स, विषैले पदार्थ एवं अन्य बेकार तत्व से आपके शरीर को बचाता है। इस तरह से इस योग के अभ्यास करने से आप सेहतमंद ही नहीं रहते बल्के बहुत सारी बिमारियों से महफूज़ रहते हैं। शंख प्रक्षालन को वारिसार क्रिया भी कहते हैं। शंख प्रक्षालन दो शब्दों का बना हुआ है-शंख जिसका प्रयोग आंतों के लिए किया गया है क्योंकि आंतें भी शंख के भीतरी भाग के समान जटिल होती हैं ‘प्रक्षालन’ का अर्थ होता है साफ करना या धोना। इस तरह से देखा जाये तो शंखप्रक्षालन की ऐसी शोधन योग क्रिया है जो आंतों को साफ करता है। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि शंख प्रक्षालन हमेशा किसी विशेषज्ञ के निगरानी में ही करनी चाहिए।shankh-prakshalan-steps-benefits-precaution

Read more